तुम अपने अक़ीदों के नेज़े…
तुम अपने अक़ीदों के नेज़े हर दिल में उतारे जाते हो, हम लोग मोहब्बत वाले हैं तुम ख़ंजर
Patriotic Poetry
तुम अपने अक़ीदों के नेज़े हर दिल में उतारे जाते हो, हम लोग मोहब्बत वाले हैं तुम ख़ंजर
पानी आँख में भर कर लाया जा सकता है अब भी जलता शहर बचाया जा सकता है, एक
रिहा कर मुझे या सज़ा दे ऐ आदिल कोई तो फ़ैसला तू सुना दे ऐ आदिल, यूँ असीरी
मुस्कुरा कर चलो खिलखिला कर चलो दिल किसी का मगर ना दुखा कर चलो, जिसकी ख़ुशबू जहाँ में
मुझे यकीं है अब हमारा जहान बदलेगा ज़मीन बदलेगी और आसमान बदलेगा, ये खार बदलेंगे और खारज़ाद बदलेगा
कौन मुन्सफ़, कहाँ इंसाफ़, किधर का दस्तूर अब ये मिज़ान सजावट के सिवा कुछ भी नहीं, अदालत की
सताते हो तुम मज़लूमों को सताओ मगर ये समझ के ज़रा ज़ुल्म ढहाओ मज़ालिम का लबरेज़ जब जाम
वतन से उल्फ़त है जुर्म अपना ये जुर्म ता ज़िन्दगी करेंगे है किस की गर्दन पे खून ए
पहले जनाब कोई शिगूफ़ा उछाल दो फिर कर का बोझ गर्दन पर डाल दो, रिश्वत को हक़ समझ
सीनों में अगर होती कुछ प्यार की गुंजाइश हाथों में निकलती क्यूँ तलवार की गुंजाइश, पिछड़े हुए गाँव