अब जो लौटे हो इतने सालों में…
अब जो लौटे हो इतने सालों मेंधूप उतरी हुई है बालों में, तुम मिरी आँख के समुंदर मेंतुम
General Poetry
अब जो लौटे हो इतने सालों मेंधूप उतरी हुई है बालों में, तुम मिरी आँख के समुंदर मेंतुम
आँखों से मिरी इस लिए लाली नहीं जातीयादों से कोई रात जो ख़ाली नहीं जाती, अब उम्र न
बाँध ले हाथ पे सीने पे सजा ले तुमकोजी में आता है कि ताबीज़ बना ले तुमको, फिर
जो रहता है दिल के क़रीबअक्सर वही दूर हुआ करता है, जो नहीं हो मयस्सर हमकोवही मतलूब हुआ
संभाला होश है जबसेमुक़द्दर सख्त तर निकलाबड़ा है वास्ता जिससेवही ज़ेर ओ ज़बर निकला, सबक़ देता रहा मुझकोसदा
तुम्हे बहार की कलियाँ जवाँ पुकारती हैकहती मरहबा ! सब तितलियाँ पुकारती है, न बोसा प्यार का अंबर
होश में रह के बे हवास फिर रहे है आजतेरे नगर में हम उदास फिर रहे है आज,
कहे दुनियाँ उसे ऐसे ही बेकार न आयेक़िस्मत का मेरी बन के ख़रीदार न आये, इस बार मुलाक़ात
कर के सारी हदों को पार चलाआज फिर से मैं कु ए यार चला, उसने वायदा किया था
रुख से नक़ाब उनके जो हटती चली गईचादर सी एक नूर की बिछती चली गई, आये वो मेरे