बहार रुत में उजाड़ रस्ते…
बहार रुत में उजाड़ रस्तेतका करोगे तो रो पड़ोगे, किसे से मिलने को जब भीसजा करोगे तो रो
General Poetry
बहार रुत में उजाड़ रस्तेतका करोगे तो रो पड़ोगे, किसे से मिलने को जब भीसजा करोगे तो रो
किसी के इश्क़ में रस्तों की धूल हो गए हैंख़ुदा का शुक्र कि पैसे वसूल हो गए हैं,
धमाल धूल उड़ाए तो इश्क़ होता हैवज़ूद वज्द में आये तो इश्क़ होता है, बहा रहा है वो
इश्क़ ज़न्नत इश्क़ दोज़ख इश्क़ तो मशहूर हैइश्क़ जंगल इश्क़ मंगल इश्क़ तो मसरूर है, इश्क़ मुज़रिम इश्क़
हर एक दर्द मुहब्बत के नाम होता हैयही तमाशा मगर सुबह ओ शाम होता है, कही भी मिलता
हर वक़्त इंतज़ार करता हूँतुमको बेलौस प्यार करता हूँ, पर दिल में रखता हूँ बताता नहींप्यार कब आशकार
मतलब परस्तो को क्या पता कि दोस्ती क्या हैगुज़र गई है जो मुश्किलो में वो ज़िन्दगी क्या है,
मुक़द्दर का चमकता सितारा हो भी सकता हैमुझे तक़दीर का शायद इशारा हो भी सकता है, मिलावट झूठ
एक मैं और इतने लाखों सिलसिलों के सामनेएक सौत-ए-गुंग जैसे गुम्बदों के सामने, मिटते जाते नक़्श दूद-ए-दम की
इक मसाफ़त पाँव शल करती हुई सी ख़्वाब मेंइक सफ़र गहरा मुसलसल ज़र्दी-ए-महताब में, तेज़ है बू-ए-शगूफ़ा हाए