झगड़ना काहे का ? मेरे भाई पड़ी रहेगी
झगड़ना काहे का ? मेरे भाई पड़ी रहेगी ये बाप दादा की सब कमाई पड़ी …
झगड़ना काहे का ? मेरे भाई पड़ी रहेगी ये बाप दादा की सब कमाई पड़ी …
मौत भी क्या अज़ीब हस्ती है जो ज़िंदगी के लिए तरसती है, दिल तो एक …
पिछले बरस तुम साथ थे मेरे और दिसम्बर था महके हुए दिन रात थे मेरे …
ग़म ए जहाँ को शर्मसार करने वाले क्या हुए वो सारी उम्र इंतिज़ार करने वाले …
हर्फ़ ए गलत न था मुझे समझा गया गलत लिखा गया गलत कभी बोला गया …
दिल में औरों के लिए कीना ओ कद रखते हैं वही लोग इख़्लास के पर्दे …
इंसान को वक़्त के हिसाब से चलना पड़ता है बाद ठोकर ही सही आख़िर संभलना …
सरहदों पर है अपने जवानों का गम और बस्ती में जलते मकानों का गम, फिर …
जिस तरह चढ़ता है उसी तरह उतरता है चोटियों पर सदा के लिए कौन ठहरता …