तुझे है मश्क़ ए सितम का मलाल वैसे ही
तुझे है मश्क़ ए सितम का मलाल वैसे ही तुझे है मश्क़ ए सितम का मलाल वैसे ही हमारी जान थी जाँ पर वबाल वैसे …
तुझे है मश्क़ ए सितम का मलाल वैसे ही तुझे है मश्क़ ए सितम का मलाल वैसे ही हमारी जान थी जाँ पर वबाल वैसे …
वो लोग ही हर दौर में महबूब रहे हैं वो लोग ही हर दौर में महबूब रहे हैं जो इश्क़ में तालिब नहीं मतलूब रहे …
मेरा ख़ामोश रह कर भी उन्हें सब कुछ सुना देना मेरा ख़ामोश रह कर भी उन्हें सब कुछ सुना देना ज़बाँ से कुछ न कहना …
ऐ मेरे हम नशीं चल कहीं और चल ऐ मेरे हम नशीं चल कहीं और चल इस चमन में अब अपना गुज़ारा नहीं, बात होती …
एक अजनबी ख़याल में ख़ुद से जुदा रहा एक अजनबी ख़याल में ख़ुद से जुदा रहा नींद आ गई थी रात मगर जागता रहा, संगीन …
आइने का मुँह भी हैरत से खुला रह जाएगा जो भी देखेगा तुझे वो देखता रह जाएगा, हम ने सब कुछ तज दिया तेरी रिफ़ाक़त …
मोहब्बत के सिवा हर्फ़ ओ बयाँ से कुछ नहीं होता हवा साकिन रहे तो बादबाँ से कुछ नहीं होता, चलूँ तो मस्लहत ये कह के …
जब से उनका ख्याल रखा है दिल ने मुश्किल में डाल रखा है, उन पर दिल ये आ गया वरना उन में क्या कमाल रखा …
कहो तो आज दिल ए बे क़रार कैसे हो ? शब ए अलम के सताए नज़ार कैसे हो ? हवस यही है कि पूछे वो …
भीगा हुआ है आँचल आँखों में भी नमी है फैला हुआ है काजल आँखों में भी नमी है, बरसेगा आज खुल कर बेचैन ओ मुज़्तरिब …